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टेस्ट क्रिकेट का 'अंत' या नई शुरुआत? ICC के इस फैसले से मच गया बवाल! two tier test system - hindustannewsdaily.in

टेस्ट क्रिकेट का ‘अंत’ या नई शुरुआत? ICC के इस फैसले से मच गया बवाल! two tier test system

इंदौर, भारत – टेस्ट क्रिकेट का भविष्य अब एक बड़े बदलाव की ओर अग्रसर दिख रहा है। {ICC’s proposed Two Tier Test System! } इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) की हालिया एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में एक बहुप्रतीक्षित प्रस्ताव, यानी टू-टियर टेस्ट सिस्टम, पर गहन चर्चा हुई है। यह वो सिस्टम है जो टेस्ट क्रिकेट की रूपरेखा को हमेशा के लिए बदल सकता है जिससे खेल में नई जान आने और बड़े देशों के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा देखने की उम्मीद है। हालांकि, छोटे क्रिकेटिंग देशों के लिए इसके निहितार्थों पर भी विचार-विमर्श जारी है।

⭐ आज की बड़ी खबर: एक नज़र में ⭐

  • मुख्य घोषणा: ICC AGM में **टू-टियर टेस्ट सिस्टम** पर गहन चर्चा हुई, जिससे 2027 के बाद इसे लागू करने की संभावना बढ़ी है।
  • बाजार पर असर: इस सिस्टम से शीर्ष टीमों के बीच अधिक हाई-प्रोफाइल मैच होंगे, जिससे राजस्व में वृद्धि और क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ने की उम्मीद है।
  • विशेषज्ञों की राय: क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड जैसे बड़े बोर्ड इसके प्रबल समर्थक हैं, जबकि छोटे देश संभावित नुकसान को लेकर चिंतित हैं।
  • आगे क्या होगा: वर्तमान WTC चक्र (2025-27) में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन 2027 के बाद इस सिस्टम के लागू होने की संभावना है।

🎯 क्या है ICC का Two Tier Test System?

हाल ही में संपन्न हुई ICC की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में टू-टियर टेस्ट सिस्टम पर हुई चर्चा ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। यह प्रस्ताव टेस्ट खेलने वाले देशों को दो डिवीजनों में बांटने का विचार है: एक टॉप-टियर (Division One) और एक सेकंड-टियर (Division Two)। इसका मुख्य उद्देश्य टेस्ट क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा और रोमांच बढ़ाना है, खासकर शीर्ष टीमों के बीच अधिक मुकाबले सुनिश्चित करके।

प्रस्ताव के तहत, टॉप-टियर में दुनिया की शीर्ष रैंकिंग वाली टीमें शामिल होंगी, जैसे भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका। ये टीमें आपस में अधिक टेस्ट सीरीज खेलेंगी, जिससे प्रशंसकों को अधिक उच्च-गुणवत्ता वाले मैच देखने को मिलेंगे। दूसरे टियर में बांग्लादेश, वेस्टइंडीज, आयरलैंड, अफगानिस्तान और जिम्बाब्वे जैसी टीमें हो सकती हैं, जो आपस में भिड़ेंगी और शीर्ष टियर में पदोन्नति (promotion) के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी। इस सिस्टम में पदोन्नति और पदावनति (relegation) का प्रावधान भी शामिल होगा, जिससे निचले टियर की टीमों को ऊपर आने का मौका मिलेगा और शीर्ष टीमों पर अच्छा प्रदर्शन बनाए रखने का दबाव होगा। इस मॉडल को घरेलू रणजी ट्रॉफी सिस्टम से प्रेरित बताया जा रहा है।

यह विचार पहली बार 2016 में भी सामने आया था, लेकिन तब कई छोटे देशों के विरोध के कारण इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। हालांकि, अब ICC के चेयरमैन जय शाह और नए सीईओ संजोग गुप्ता के नेतृत्व में इसे फिर से गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

🔍 बड़े क्रिकेट बोर्ड क्यों कर रहे हैं इसका समर्थन?

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) और इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) जैसे बड़े क्रिकेट बोर्ड टू-टियर टेस्ट सिस्टम के प्रबल समर्थक हैं। इसके पीछे कई ठोस कारण हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है राजस्व और दर्शकों की रुचि में वृद्धि। इन बोर्ड का मानना है कि शीर्ष टीमों के बीच अधिक मुकाबले होने से टेस्ट क्रिकेट की व्यावसायिक क्षमता (commercial viability) बढ़ेगी।

उदाहरण के लिए, हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी ने रिकॉर्ड तोड़ दर्शक जुटाए, मैदानों पर लाखों प्रशंसक आए और प्रसारण दर्शकों की संख्या भी अभूतपूर्व रही। यह दर्शाता है कि जब दो बड़ी टीमें आपस में भिड़ती हैं, तो दर्शकों की रुचि चरम पर होती है। **टू-टियर टेस्ट सिस्टम** का लक्ष्य ऐसे उच्च-मूल्य वाले मैचों की संख्या बढ़ाना है। इससे न केवल बड़े बोर्ड को अधिक राजस्व मिलेगा, बल्कि वे अपने शीर्ष खिलाड़ियों को टी20 लीग की ओर जाने से रोकने के लिए बड़े अनुबंध भी दे पाएंगे। साथ ही, यह केवल टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए भी अधिक अवसर पैदा करेगा।

बड़े बोर्ड यह भी मानते हैं कि यह प्रणाली टेस्ट क्रिकेट की गुणवत्ता में सुधार करेगी, क्योंकि टीमों को हमेशा शीर्ष स्तर पर बने रहने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। यह खेल को अधिक प्रतिस्पर्धी और आकर्षक बनाएगा, जिससे इसका वैश्विक प्रभाव बढ़ सकता है।

💡 छोटे देशों की चिंताएं और संभावित समाधान

जहां एक ओर बड़े क्रिकेट बोर्ड टू-टियर टेस्ट सिस्टम के फायदे गिना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर छोटे क्रिकेटिंग देशों की अपनी चिंताएं हैं। बांग्लादेश, वेस्टइंडीज और जिम्बाब्वे जैसे देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इस प्रणाली से उन्हें शीर्ष टीमों के खिलाफ खेलने के अवसर कम मिलेंगे। बांग्लादेश के बल्लेबाज मोमिनुल हक ने भी इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि बड़े टीमों से न खेल पाने से उनके क्रिकेट का स्तर ऊपर नहीं जा पाएगा।

उनकी मुख्य चिंता राजस्व में गिरावट और टेस्ट क्रिकेट से अलगाव की है। शीर्ष देशों के साथ खेलने से उन्हें न केवल वित्तीय लाभ होता है, बल्कि खिलाड़ियों को सीखने और अपने खेल में सुधार करने का भी अवसर मिलता है। अगर वे दूसरे टियर में फंस जाते हैं, तो उनके लिए अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना और वैश्विक मंच पर पहचान बनाना मुश्किल हो सकता है।

हालांकि, ICC इस बात पर भी विचार कर रही है कि इन चिंताओं का समाधान कैसे किया जाए। धन आवंटन और पदोन्नति/पदावनति नियमों पर चर्चा इस प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सुनिश्चित करने के तरीके खोजे जा रहे हैं कि दूसरे टियर की टीमों को भी पर्याप्त अवसर मिलें और उन्हें शीर्ष स्तर पर पहुंचने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। कुछ विशेषज्ञों ने “क्रॉसओवर” मैचों का भी सुझाव दिया है, जहां टियर-1 और टियर-2 की टीमें एक-दूसरे के खिलाफ खेल सकें, जिससे छोटे देशों को बड़े टीमों से खेलने का मौका मिले और दर्शकों की रुचि भी बनी रहे।

📈 भविष्य की राह: 2027 के बाद क्या?

वर्तमान विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) चक्र (2025-27) पहले से ही निर्धारित है, और यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इस चक्र में टू-टियर टेस्ट सिस्टम लागू नहीं होगा। हालांकि, ICC की हालिया AGM में हुई चर्चाओं से यह संकेत मिलता है कि 2027 के बाद इस प्रणाली को लागू करने की प्रबल संभावना है। यह ICC के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय होगा जो टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को आकार देगा।

आईसीसी का लक्ष्य टेस्ट क्रिकेट को और अधिक प्रासंगिक और आकर्षक बनाना है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब टी20 क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ रही है। दो-टियर प्रणाली के माध्यम से, वे मानते हैं कि वे टेस्ट क्रिकेट को एक नई ऊर्जा और उत्साह प्रदान कर सकते हैं। अगले कुछ वर्षों में, धन के वितरण, पदोन्नति/पदावनति के सटीक तंत्र और दूसरे टियर की टीमों के लिए अवसरों को लेकर और स्पष्टता आने की उम्मीद है। क्रिकेट के लिए यह एक रोमांचक दौर हो सकता है, जहां परंपरा और नवाचार का मिश्रण देखने को मिलेगा।

इस बीच, क्रिकेट प्रशंसक इस बात पर बारीकी से नजर रखेंगे कि ICC इस महत्वाकांक्षी योजना को कैसे मूर्त रूप देती है और क्या यह वास्तव में टेस्ट क्रिकेट के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित कर पाती है।

❓ इस खबर से जुड़े कुछ सवाल

टू-टियर टेस्ट सिस्टम क्या है?

यह एक प्रस्तावित प्रणाली है जिसमें टेस्ट खेलने वाले देशों को उनकी रैंकिंग के आधार पर दो डिवीजनों (टियर 1 और टियर 2) में बांटा जाएगा, जिससे शीर्ष टीमें आपस में अधिक खेलें और निचले टियर की टीमें पदोन्नति के लिए प्रतिस्पर्धा करें।

यह सिस्टम कब लागू हो सकता है?

वर्तमान विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) चक्र 2025-27 के बाद, यानी 2027 के बाद, इस सिस्टम के लागू होने की संभावना है।

छोटे क्रिकेटिंग देशों पर इसका क्या असर होगा?

छोटे देशों को चिंता है कि उन्हें शीर्ष टीमों के खिलाफ खेलने के कम अवसर मिलेंगे, जिससे राजस्व और खेल के विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। ICC इन चिंताओं को दूर करने के लिए धन आवंटन और अवसरों पर चर्चा कर रहा है।

⚠️ महत्वपूर्ण सूचना (Disclaimer)

यह लेख हालिया समाचारों पर आधारित है और सूचना के उद्देश्यों के लिए है। वित्तीय या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले, कृपया एक योग्य पेशेवर से सलाह लें। बाजार और घटनाएं तेजी से बदल सकती हैं।

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