भारत पर बिफरा EU! क्या थम जाएगा रूस से तेल व्यापार? Indian refinery

भारत – पिछले कुछ दिनों से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत और पश्चिमी देशों के बीच रूस से तेल व्यापार को लेकर तनाव गहरा गया है। ताजा घटनाक्रम में, यूरोपीय संघ (EU) ने भारत की एक प्रमुख Indian refinery पर प्रतिबंध लगाकर एक बड़ा कदम उठाया है, जिसने नई दिल्ली की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। यह प्रतिबंध, पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर दबाव बनाने और भारत को उससे दूर करने के प्रयासों की एक और कड़ी माना जा रहा है।

⭐ आज की बड़ी खबर: एक नज़र में ⭐

  • मुख्य घोषणा: यूरोपीय संघ ने गुजरात स्थित नायरा एनर्जी (Nayara Energy) की वाडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाया है।
  • भारत की प्रतिक्रिया: भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ऐसे किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता, जो संयुक्त राष्ट्र के दायरे के बाहर हों, और ऊर्जा व्यापार में दोहरे मापदंड की आलोचना की।
  • बाजार पर असर: नायरा एनर्जी अब यूरोप को रूसी तेल से बने रिफाइंड उत्पादों का निर्यात नहीं कर पाएगी, जिससे उसके यूरोपीय और अफ्रीकी बाजारों पर असर पड़ सकता है।
  • विशेषज्ञों की राय: विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिबंध भारत को रूस से दूर करने और उसके ऊर्जा सुरक्षा विकल्पों को सीमित करने की कोशिश है, हालांकि भारत अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने का दावा करता है।
  • आगे क्या होगा: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और विभिन्न स्रोतों से तेल आयात करना जारी रखेगा, जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ का दबाव बढ़ने की संभावना है।

🎯 पश्चिमी देशों का बढ़ता दबाव: NATO के बाद EU का वार

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही पश्चिमी देश, विशेषकर अमेरिका और यूरोपीय संघ, भारत पर रूस से अपने व्यापारिक संबंधों को कम करने का दबाव बना रहे हैं। यह दबाव अब एक नए स्तर पर पहुंच गया है, पहले नाटो (NATO) के प्रमुख ने भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों को रूस से तेल खरीदने पर गंभीर परिणामों की चेतावनी दी, और अब यूरोपीय संघ ने सीधे भारत की एक रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह घटनाक्रम दिखाता है कि पश्चिमी देश भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

हाल ही में, नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने वाशिंगटन में बयान दिया था कि रूस के साथ व्यापार जारी रखने वाले देशों को ‘कठोर परिणाम’ भुगतने पड़ सकते हैं। इसके तुरंत बाद, यूरोपीय संघ ने प्रतिबंधों का अपना 18वां पैकेज घोषित किया, जिसमें गुजरात स्थित नायरा एनर्जी की वाडिनार Indian refinery को निशाना बनाया गया। नायरा एनर्जी में रूसी ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) की 49.13% हिस्सेदारी है, और यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी है। पश्चिमी देशों का तर्क है कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से रूस को युद्ध के लिए फंडिंग मिल रही है। हालांकि, भारत ने लगातार यह स्पष्ट किया है कि उसकी विदेश नीति उसके राष्ट्रीय हितों से निर्देशित होती है और ऊर्जा सुरक्षा उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

यह प्रतिबंध विशेष रूप से उस ‘रिफाइनिंग लूपहोल’ को बंद करने के उद्देश्य से लगाया गया है, जिसके तहत भारत रूसी कच्चे तेल को रियायती दरों पर खरीदकर उसे रिफाइंड उत्पादों में बदलकर यूरोप जैसे बाजारों में निर्यात कर रहा था। यूरोपीय संघ का दावा है कि इस ‘लूपहोल’ ने रूस को प्रतिबंधों से बचने और राजस्व अर्जित करने में मदद की है।

🔍 नायरा एनर्जी पर प्रतिबंध: क्यों और क्या असर?

यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का सीधा निशाना नायरा एनर्जी (Nayara Energy) है, जो गुजरात के वाडिनार में एक विशाल रिफाइनरी का संचालन करती है। यह रिफाइनरी सालाना 20 मिलियन टन तेल का उत्पादन करती है और पूरे भारत में 6,750 से अधिक पेट्रोल पंपों का नेटवर्क भी संचालित करती है। प्रतिबंधों का मतलब है कि नायरा एनर्जी अब यूरोपीय संघ के देशों को रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद जैसे पेट्रोल और डीजल का निर्यात नहीं कर पाएगी। यह कंपनी के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह अपने उत्पादों के लिए यूरोपीय और अफ्रीकी बाजारों पर काफी हद तक निर्भर करती थी।

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से, रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है, जो भारत के कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 35-40% हिस्सा है। भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदकर अरबों डॉलर की बचत की है। पश्चिमी देश इस बात से चिंतित हैं कि यह व्यापार रूस को युद्ध जारी रखने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। प्रतिबंधों का उद्देश्य रूसी तेल के वैश्विक मूल्य को भी कम करना है, जिसमें G7 देशों ने रूसी कच्चे तेल पर $60 प्रति बैरल की मूल्य सीमा तय की है, जिसे अब घटाकर $47.60 प्रति बैरल कर दिया गया है।

इस प्रतिबंध से नायरा एनर्जी के संचालन और लाभप्रदता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। यह रोजगार संकट पैदा कर सकता है और कंपनी के मुनाफे को भी प्रभावित कर सकता है। रोसनेफ्ट नायरा एनर्जी में अपनी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Ltd.) को बेचने के लिए बातचीत कर रहा था, लेकिन कथित तौर पर 20 बिलियन डॉलर की कीमत एक बाधा बन रही थी। इन नए प्रतिबंधों से यह सौदा और भी जटिल हो सकता है।

💡 भारत का दृढ़ रुख: ‘दोहरे मापदंड’ पर आपत्ति

यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बाद, भारतीय विदेश मंत्रालय ने तुरंत और दृढ़ता से प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट कहा कि भारत ऐसे किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता है, जो संयुक्त राष्ट्र (UN) के दायरे से बाहर लगाए गए हों। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ऊर्जा व्यापार के मामले में ‘दोहरे मापदंड’ (double standards) नहीं होने चाहिए। भारत का यह बयान इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि कई यूरोपीय देश भी रूस से गैस और अन्य ऊर्जा उत्पादों का आयात जारी रखे हुए हैं, जबकि वे भारत पर रूसी तेल आयात कम करने का दबाव बना रहे हैं।

भारत सरकार अपनी ऊर्जा सुरक्षा को अपने नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ मानती है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी इस बात पर जोर दिया है कि भारत ने अपनी तेल आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है, और यदि रूसी आयात प्रभावित होता है तो उसके पास वैकल्पिक स्रोतों से अपनी जरूरतों को पूरा करने की पूरी क्षमता है। भारत अब लगभग 40 देशों से तेल आयात करता है, जबकि पहले यह संख्या 27 थी। यह दर्शाता है कि भारत किसी एक स्रोत पर निर्भरता कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

भारत का दृढ़ रुख यह भी संकेत देता है कि वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और बाहरी दबावों के आगे नहीं झुकेगा। भारत का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत ही देशों के संबंधों का आधार होने चाहिए, न कि एकतरफा प्रतिबंध। अवज द वॉयस की रिपोर्ट में भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान का विस्तृत उल्लेख है।

📈 भारत की ऊर्जा सुरक्षा: आगे की राह

यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों से भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर तात्कालिक रूप से कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन यह भविष्य की चुनौतियों का संकेत अवश्य देता है। भारत अपनी तेल जरूरतों का 85% से अधिक आयात करता है, और रूसी तेल ने उसे महत्वपूर्ण लागत बचत प्रदान की है। 2022 से 2025 तक, रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने से भारत को अनुमानित रूप से 11 से 25 अरब अमेरिकी डॉलर की बचत हुई है। ऐसे में, रूसी तेल से पूरी तरह से दूरी बनाना भारत के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

हालांकि, भारत सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए अपनी तैयारी का आश्वासन दिया है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत के पास गुयाना, ब्राजील और कनाडा जैसे नए और मौजूदा आपूर्तिकर्ताओं से तेल आयात करने के कई विकल्प हैं। इसके अलावा, भारत अपनी घरेलू अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों को भी बढ़ा रहा है।

यह घटनाक्रम भारत और पश्चिमी देशों के बीच संबंधों में एक संवेदनशील बिंदु बन गया है। जहां पश्चिमी देश रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने पर तुले हैं, वहीं भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह गतिरोध कैसे विकसित होता है और क्या भारत अपने रुख पर अडिग रहता है, या पश्चिमी देशों के दबाव में कोई बदलाव आता है। इस बीच, भारत के राजनयिक प्रयास यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित होंगे कि ऐसे प्रतिबंधों से उसकी अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा पर न्यूनतम नकारात्मक प्रभाव पड़े। Source

❓ इस खबर से जुड़े कुछ सवाल

यूरोपीय संघ ने किस भारतीय रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाया है?

यूरोपीय संघ ने गुजरात स्थित नायरा एनर्जी (Nayara Energy) की वाडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाया है, जिसमें रूसी ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।

भारत ने यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों पर क्या प्रतिक्रिया दी है?

भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत संयुक्त राष्ट्र के दायरे से बाहर लगाए गए किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता है। भारत ने ऊर्जा व्यापार में ‘दोहरे मापदंड’ न अपनाने की भी बात कही है।

इस प्रतिबंध का भारत के तेल व्यापार पर क्या असर हो सकता है?

इस प्रतिबंध से नायरा एनर्जी यूरोप को रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात नहीं कर पाएगी। हालांकि, भारत सरकार का कहना है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और उसके पास तेल आपूर्ति के कई विकल्प मौजूद हैं।

⚠️ महत्वपूर्ण सूचना (Disclaimer)

यह लेख हालिया समाचारों पर आधारित है और सूचना के उद्देश्यों के लिए है। वित्तीय या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले, कृपया एक योग्य पेशेवर से सलाह लें। बाजार और घटनाएं तेजी से बदल सकती हैं।

 

 

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