NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 2 Question 1

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 2 Question 1

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 2 Question 1

प्रश्न परिचयः 🧐

प्रिय विद्यार्थियों, आज हम NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit के अंतर्गत द्वितीयः पाठः – “बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता” के प्रश्न 1 का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह पाठ हमें मधुर वाणी और धोखेबाज व्यवहार के बीच के अंतर को समझाता है। प्रश्न 1 में आमतौर पर श्लोक या वाक्य का अर्थ, व्याकरण या संदर्भ पूछा जाता है। आइए, इसे विस्तार से समझें।

प्रश्न 1: “बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता” इत्यस्य अर्थं लिखत।


पदच्छेदः (Word-by-Word Analysis) 📝

बिलस्य = बिल (बिल्ली) + स्य (षष्ठी विभक्ति, एकवचन) = बिल्ली का
वाणी = वचन, बोल, भाषा
= नहीं (निषेध)
कदापि = कभी भी
मे = मेरा (मम, चतुर्थी विभक्ति)
श्रुता = सुना गया (श्रु धातु, भूतकाल)


अन्वयः (Prose Order) 📜

बिलस्य वाणी मे कदापि न श्रुता।

अर्थात्: बिल्ली की वाणी (बोल) मेरे द्वारा कभी भी नहीं सुनी गई।


सरलार्थः (Simple Meaning) 🗣️

इस वाक्य का अर्थ है कि मैंने कभी भी बिल्ली की बातें या उसकी वाणी नहीं सुनी। यहाँ संदर्भ में यह दर्शाया गया है कि बिल्ली की मधुर बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह धोखा दे सकती है। यह एक नैतिक संदेश है जो हमें सिखाता है कि हमें किसी की बातों पर अंधविश्वास नहीं करना चाहिए।


व्याकरणात्मक टिप्पणी (Grammatical Notes) ✍️

1. बिलस्य: यहाँ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग हुआ है, जो स्वामित्व दर्शाता है।
2. श्रुता: यह ‘श्रु’ धातु से बना है, जो भूतकाल में प्रयुक्त हुआ है।
3. कदापि: यह अव्यय है, जिसका अर्थ ‘कभी भी’ होता है और निषेध के साथ प्रयोग होता है।


निष्कर्ष और मुख्य बिंदु ✅

इस प्रश्न से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी की मधुर वाणी से प्रभावित होकर जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहिए। साथ ही, व्याकरण के दृष्टिकोण से षष्ठी विभक्ति और भूतकाल के प्रयोग को समझना महत्वपूर्ण है।

रोचक तथ्य 💡

क्या आप जानते हैं? यह कहानी पंचतंत्र से प्रेरित है, जो भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण रचना है और नीति-कथाओं के लिए प्रसिद्ध है।

मुख्य बिंदु याद रखें 📌

  • षष्ठी विभक्ति का प्रयोग स्वामित्व दर्शाने के लिए होता है, जैसे ‘बिलस्य’।
  • ‘कदापि’ का अर्थ ‘कभी भी’ होता है और यह निषेध के साथ प्रयोग होता है।
  • पाठ का नैतिक संदेश: मधुर वाणी पर अंधविश्वास न करें।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. द्वितीयः पाठः का मुख्य विषय क्या है?

यह पाठ मधुर वाणी और धोखेबाज व्यवहार के बीच के अंतर को दर्शाता है।

2. ‘बिलस्य वाणी’ का अर्थ क्या है?

इसका अर्थ है ‘बिल्ली की वाणी’ या ‘बिल्ली की बातें’, जो यहाँ धोखेबाज भाषा को दर्शाता है।

3. प्रश्न 1 में कौन सा व्याकरण नियम पूछा गया है?

यहाँ षष्ठी विभक्ति और भूतकाल के प्रयोग पर ध्यान दिया गया है।

4. इस पाठ से हमें क्या नैतिक शिक्षा मिलती है?

हमें मधुर बातों पर अंधविश्वास नहीं करना चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए।

5. ‘कदापि’ शब्द का प्रयोग कैसे किया गया है?

‘कदापि’ का अर्थ ‘कभी भी’ है और यह निषेधात्मक अर्थ में प्रयोग हुआ है।


Further Reading

अधिक जानकारी के लिए आप पंचतंत्र की कहानियाँ पढ़ सकते हैं या भारतीय नीति-कथाओं पर आधारित पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top